Panchmeva Paag: जन्माष्टमी के लिए नरम और स्वादिष्ट भोग बनाएं बिना चाशनी और मावा के

Panchmeva Paag

पंचमेवा पाग (Panchmeva Paag) – जन्माष्टमी के लिए खास प्रसाद

 

त्योहारों का असली मज़ा तभी आता है जब घर में मिठाइयों की खुशबू फैली हो। खासकर जन्माष्टमी के अवसर पर, जब हम भगवान कृष्ण के लिए भोग बनाते हैं, तो प्रसाद की मिठास और भी बढ़ जाती है। ऐसे में अगर आप एक ऐसी festive recipe बनाना चाहते हैं जो स्वाद, सेहत और परंपरा – तीनों का संगम हो, तो पंचमेवा पाग (Panchmeva Paag) एकदम सही विकल्प है।

यह पाग बाकी मिठाइयों से अलग है क्योंकि इसमें न तो मावा (खोया) की ज़रूरत है और न ही चीनी की चाशनी बनाने का झंझट। इसकी मिठास शुद्ध देसी गुड़ से आती है, जो इसे सेहतमंद भी बनाती है। इसमें बादाम, काजू, मखाना, खरबूजे के बीज, नारियल, खसखस और किशमिश जैसे पौष्टिक मेवे मिलते हैं, जो स्वाद के साथ-साथ पोषण भी देते हैं।

सबसे अच्छी बात यह है कि यह पंचमेवा पाग (Panchmeva Paag) इतना नरम और परफेक्ट बनता है कि यह न टूटता है, न बिखरता है और न ही चिपचिपा होता है। इस रेसिपी का हर बाइट मुंह में घुल जाने वाला अनुभव देता है, और आप इसे जन्माष्टमी के अलावा किसी भी त्योहार या खास मौके पर आसानी से बना सकते हैं।



पंचमेवा पाग (Panchmeva Paag) के लिए सामग्री

  • देसी घी – 2 बड़े चम्मच
  • बादाम – ½ कप
  • काजू – ½ कप
  • मखाना – 1 कप
  • खरबूजे के बीज – ½ कप
  • सूखा नारियल (कोपरा), कसा हुआ – ½ कप
  • खसखस – 2 बड़े चम्मच
  • किशमिश – 2 बड़े चम्मच
  • इलायची पाउडर – 1 चम्मच
  • जायफल पाउडर – एक चुटकी
  • पिस्ता, बारीक कटे – 2 बड़े चम्मच (वैकल्पिक)
  • गुड़ – 2 कप (हर 4 कप मेवा मिश्रण के लिए)
  • पानी – 2–3 बड़े चम्मच
  • चांदी का वर्क – सजावट के लिए

 

Ingredients of Panchmeva Paag

 

पंचमेवा पाग (Panchmeva Paag) बनाने की विधि

 

सबसे पहले एक गहरे पैन में 2 बड़े चम्मच देसी घी गरम करें। कम से मध्यम आंच पर बादाम को हल्का सुनहरा होने तक भूनें और निकाल लें। इसी तरह काजू को सुनहरा भूनकर अलग रख दें। अब मखाने डालें और तब तक भूनें जब तक वे कुरकुरे न हो जाएं – दबाने पर आसानी से टूटने चाहिए। इसके बाद खरबूजे के बीज डालकर तब तक भूनें जब तक हल्का फूलने न लगें और हल्की चटकने की आवाज न करें।

अब कसे हुए नारियल को लगभग एक मिनट तक हल्का भूनें और उसमें खसखस डाल दें। इन दोनों को साथ में सुनहरा होने तक भूनें। आखिर में किशमिश डालें और हल्का फुलने तक भून लें।

अब भुने हुए बादाम, काजू और मखाने को मिक्सर में पल्स मोड पर मोटा-मोटा पीस लें – इन्हें पाउडर न बनाएं ताकि पाग में अच्छी बनावट बनी रहे। इस पिसे हुए मिश्रण को नारियल, खसखस और किशमिश के साथ मिला लें। स्वाद और खुशबू के लिए इलायची पाउडर और एक चुटकी जायफल पाउडर डालें। अगर चाहें तो हरेपन और कुरकुरेपन के लिए बारीक कटे पिस्ता भी मिला सकते हैं।

अब गुड़ की चाशनी तैयार करें। एक पैन में 2 कप पिसा हुआ गुड़ और 2–3 बड़े चम्मच पानी डालें। मध्यम आंच पर लगातार चलाते हुए गुड़ को पिघलाएं जब तक यह बुलबुलेदार, चाशनी जैसी स्थिरता न ले ले। ध्यान दें – यहां तार की जांच करने की ज़रूरत नहीं है, बस पिघलने और गाढ़ा होने तक पकाएं।

चाशनी तैयार होते ही आंच धीमी करें और तुरंत पूरा मेवा मिश्रण डाल दें। तेज़ी से मिलाएं क्योंकि गुड़ जल्दी सख्त हो जाता है। अब इस मिश्रण को घी लगी ट्रे में डालें और एक कटोरी से दबाकर सेट करें। ठंडा होने के बाद इसे चांदी के वर्क से सजाएं और इच्छित आकार में काट लें।

 

पंचमेवा पाग (Panchmeva Paag) के लिए टिप्स

  1. मेवे भूनते समय आंच हमेशा कम से मध्यम रखें ताकि जलें नहीं।
  2. मखाने अच्छे से कुरकुरे होने चाहिए, वरना पाग में नमी रह जाएगी।
  3. नारियल और खसखस को ज्यादा न भूनें, वरना कड़वाहट आ सकती है।
  4. गुड़ की चाशनी बनाते समय ज्यादा देर तक न पकाएं, वरना पाग सख्त हो जाएगा।
  5. मेवा मिश्रण चाशनी में डालते ही तुरंत मिलाना जरूरी है।
  6. ट्रे में सेट करते समय ऊपर से दबाकर सपाट करें ताकि कटने पर आकार अच्छा आए।
  7. एयरटाइट कंटेनर में रखें – 7–8 दिन तक ताज़ा रहेगा।


निष्कर्ष

जन्माष्टमी जैसे पवित्र अवसर पर पंचमेवा पाग (Panchmeva Paag) न केवल भगवान के भोग के लिए बल्कि परिवार और मेहमानों के लिए भी एक बेहतरीन festive recipe है। इसकी खासियत है कि यह बिना मावा और बिना चीनी की चाशनी के बनता है, लेकिन स्वाद और नरमी में किसी से कम नहीं। यह रेसिपी आसान, पौष्टिक और लंबे समय तक स्टोर करने योग्य है, जिसे बनाकर आप त्योहार की मिठास और भी बढ़ा सकते हैं।

 

FAQs – पंचमेवा पाग (Panchmeva Paag) से जुड़े सवाल

 

Q1. क्या पंचमेवा पाग बिना गुड़ के बन सकता है?

हाँ, लेकिन गुड़ का स्वाद और हेल्थ बेनिफिट्स अलग होते हैं। चीनी से स्वाद बदल जाएगा।

 

Q2. क्या इसमें मावा डाल सकते हैं?

डाल सकते हैं, लेकिन यह रेसिपी मावा-फ्री है ताकि यह हल्की और ज्यादा समय तक ताज़ा रहे।

 

Q3. पाग सेट होने के बाद चिपचिपा क्यों हो गया?

या तो गुड़ में पानी ज्यादा डाल दिया गया या चाशनी कम पकी। अगली बार पानी केवल 2–3 बड़े चम्मच ही डालें और चाशनी को हल्का गाढ़ा होने तक पकाएँ।

 

Q4. गुड़ मिलाने के बाद मेरा पाग सख्त क्यों हो गया?

शायद गुड़ की चाशनी ज़्यादा देर पक गई। जैसे ही गुड़ पिघलकर थोड़ा गाढ़ा हो, तुरंत मेवे डाल दें। ज्यादा पकाने से यह जमकर पत्थर जैसा हो सकता है।

 

Q5. पाग का स्वाद हल्का कड़वा क्यों आ रहा है?

ये मेवों के ज़्यादा भुन जाने से होता है। मेवों को धीमी-मध्यम आंच पर सुनहरा होते ही उतार लें।

 

Q6. क्या इसे बनाने में ज्यादा समय लगता है?

नहीं, करीब 25–30 मिनट में तैयार हो जाता है।

 

Q7. मेरा पाग काटते समय टूटकर बिखर क्यों गया?

संभव है कि गुड़ की मात्रा कम थी या चाशनी पतली रही। सही बनावट के लिए हर 4 कप मेवे में 2 कप गुड़ का अनुपात रखें।

 

Q8. पाग का मिश्रण ट्रे में डालने से पहले ही क्यों जम गया?

गुड़ जल्दी सख्त होता है, इसलिए चाशनी तैयार होते ही आंच धीमी करके तुरंत मेवों का मिश्रण डालकर चलाएं और बिना देर किए ट्रे में सेट करें।

 

ठाकुर जी और गोविंद दास की प्रेम लीला



बरसाने की पावन गलियों में, ठाकुर जी और उनके परम प्रिय सेवक गोविंद दास की लीलाएँ आज भी प्रेम और भक्ति का अद्भुत उदाहरण हैं। यह ऐसी कथा हैं जिसमें ठाकुर जी की बालसुलभ शरारतें और गोविंद दास की निःस्वार्थ सेवा, दोनों ही मन को मोहित कर लेते हैं।

एक दिन का दृश्य बड़ा निराला था। ठाकुर जी श्रृंगार कर रहे थे, और गोविंद दास प्रेम से उनकी सेवा में लगे थे। तभी न जाने क्या सूझा, ठाकुर जी ने मोती उठाकर गोविंद दास की ओर फेंका। गोविंद दास भी मुस्कुराते हुए जवाब में मोती उठा कर मारते, पर हर बार जैसे किस्मत से, गोसाईं जी आ जाते और मोती उन्हें लग जाता। ठाकुर जी की आँखों में शरारत और गोविंद दास के चेहरे पर मुस्कान, दोनों मिलकर मानो प्रेम का खेल खेल रहे थे।

एक और दिन ठाकुर जी ने हँसते हुए फरमाया — “गोविंद दास! आज तुम घोड़ा बन जाओ, मैं तुम्हारी पीठ पर बैठकर घूमूँगा।” गोविंद दास ने बिना देर किए जमीन पर झुककर उन्हें अपनी पीठ पर बैठा लिया। ठाकुर जी के चेहरे पर जो आनंद था, वह किसी भी राजसिंहासन से बढ़कर था।

लीला यहीं खत्म नहीं हुई। एक दिन ठाकुर जी ने गोविंद दास से कहा — “आज कदम खंडी में दाल बाटी बनाओ।” गोविंद दास ने प्रेम से भोग तैयार किया। उसी समय, एक साधारण झाड़ू लगाने वाला व्यक्ति, जो मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाता था, बाहर खड़ा ठाकुर जी का ध्यान कर रहा था। ठाकुर जी ने उसकी प्रार्थना सुन ली।

भोग के समय, ठाकुर जी आए, दाल बाटी खाई और जेब में बाटियाँ भर लीं। गोविंद दास आश्चर्य से पूछ बैठे — “ये क्या कर रहे हो ठाकुर?” ठाकुर जी मुस्कुरा कर बोले — “यह बाटी उस झाड़ू वाले को खिलाऊँगा, जिसे मंदिर में आने का सौभाग्य नहीं मिलता।” यह सुनकर गोविंद दास की आँखें नम हो गईं।

कभी-कभी ठाकुर जी इतनी मस्ती में होते कि स्नान का नाम ही नहीं लेते। एक दिन गोविंद दास ने हँसते-हँसते उन्हें गोविंद कुंड में खींच लिया और जबरदस्ती स्नान करवा दिया। ठाकुर जी की हँसी, पानी की छींटें, और उस पल का आनंद, दोनों के रिश्ते को और भी गहरा बना गया।

यह कथा केवल एक भक्त और भगवान की कहानी नहीं, बल्कि उस सच्चे प्रेम की गवाही है जिसमें कोई औपचारिकता नहीं, बस मासूमियत और समर्पण है। ठाकुर जी के ये बालसुलभ रूप हमें याद दिलाते हैं कि भक्ति में डर नहीं, केवल अपनापन होना चाहिए।

 

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