धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) – जन्माष्टमी का प्रसाद
जन्माष्टमी के पावन अवसर पर भगवान कृष्ण को भोग में कई तरह के व्यंजन चढ़ाए जाते हैं, लेकिन उनमें से एक बेहद खास और पारंपरिक मिठाई है धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri)। यह सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि धार्मिक महत्व से जुड़ा हुआ प्रसाद है, जो व्रत और पूजा के दौरान बनाया जाता है।
धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) खासतौर पर जन्माष्टमी की रात में बाल गोपाल को अर्पित की जाती है। इसमें धनिया पाउडर, घी, मेवे, किशमिश और पिसी चीनी का अद्भुत मेल होता है। माना जाता है कि यह प्रसाद शरीर को ऊर्जा देता है, पाचन को बेहतर बनाता है और व्रत के समय ताकत बनाए रखता है।
सबसे अच्छी बात यह है कि इसे बनाना बेहद आसान है और इसके लिए ज्यादा सामग्री की जरूरत भी नहीं पड़ती। अगर आप भी इस जन्माष्टमी पर भगवान को भोग लगाने के साथ-साथ घरवालों को खुश करना चाहते हैं, तो आइए जानते हैं धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) बनाने का सही और पारंपरिक तरीका।
धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) के लिए सामग्री
- (4–5 लोगों के लिए)
- 1 कप धनिया पाउडर
- ½ कप घी
- ½ कप पिसी हुई चीनी
- 10–12 बादाम (कटा हुआ)
- 10–12 काजू (कटा हुआ)
- 2 टेबलस्पून किशमिश
- 1–2 तुलसी के पत्ते (सजावट के लिए)
धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) बनाने की विधि
सबसे पहले एक पैन में थोड़ा घी गरम करें और उसमें कटे हुए बादाम, काजू और किशमिश को हल्का सुनहरा होने तक भून लें। जब ये कुरकुरे और खुशबूदार हो जाएं तो इन्हें एक प्लेट में निकालकर अलग रख दें।
अब उसी पैन में बचा हुआ घी डालें और उसमें धनिया पाउडर डालकर धीमी आंच पर भूनें। इसे लगातार चलाते रहें ताकि यह जले नहीं। धीरे-धीरे इसका रंग हल्का भूरा हो जाएगा और खुशबू आने लगेगी। यही वह समय है जब आपका धनिया पाउडर पूरी तरह से भुन चुका है।
इसके बाद आंच बंद कर दें और इसे थोड़ा ठंडा होने दें। ठंडा हो जाने पर इसमें पिसी हुई चीनी, तले हुए मेवे और किशमिश डालें। अब सभी सामग्री को अच्छे से मिला लें ताकि स्वाद हर बाइट में बराबर आए।
अंत में, तैयार धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) को एक प्याले में निकालें, ऊपर से तुलसी के पत्तों से सजाएं और भगवान कृष्ण को भोग लगाकर परिवार के साथ आनंद लें।
धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) के लिए टिप्स
- हमेशा धनिया पाउडर को धीमी आंच पर ही भूनें, वरना यह जल सकता है।
- पिसी हुई चीनी की जगह बूरा या मिश्री का पाउडर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- मेवों की मात्रा अपनी पसंद और स्वाद के अनुसार बढ़ा-घटा सकते हैं।
- घी की क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए, तभी स्वाद असली आएगा।
- धनिया पंजीरी को एयरटाइट कंटेनर में 7–8 दिन तक स्टोर किया जा सकता है।
- तुलसी के पत्तों की सजावट इसे धार्मिक रूप से और भी पवित्र बना देती है।
निष्कर्ष
धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) न सिर्फ जन्माष्टमी का पारंपरिक प्रसाद है, बल्कि यह सेहत और स्वाद का बेहतरीन मेल भी है। इसमें मौजूद धनिया पाउडर पाचन सुधारता है, मेवे ऊर्जा बढ़ाते हैं और घी शरीर को ताकत देता है। इसे बनाना बेहद आसान है और इसका स्वाद भगवान को भोग लगाने के बाद पूरे परिवार के साथ बांटना एक विशेष अनुभव देता है। इस जन्माष्टमी पर जरूर बनाएं और अपने त्योहार को और भी मीठा बनाएं।
FAQs – धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) से जुड़े सवाल
प्रश्न 1. धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) बनाने में कितना समय लगता है?
उत्तर: इसे बनाने में लगभग 15–20 मिनट का समय लगता है।
प्रश्न 2. क्या मैं धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) में चीनी की जगह गुड़ डाल सकता/सकती हूँ?
उत्तर: हां, लेकिन इसका स्वाद और टेक्सचर थोड़ा अलग हो जाएगा।
प्रश्न 3. क्या धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) को फ्रिज में रखना जरूरी है?
उत्तर: नहीं, इसे कमरे के तापमान पर भी रखा जा सकता है, बशर्ते एयरटाइट कंटेनर में हो।
प्रश्न 4.धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) बनाते समय धनिया पाउडर कड़वा क्यों हो जाता है?
उत्तर: यह तब होता है जब इसे तेज आंच पर भूनते हैं। हमेशा धीमी आंच पर भूनें और लगातार चलाते रहें।
प्रश्न 5. पंजीरी में चीनी डालने के बाद वह गीली क्यों हो जाती है?
उत्तर: यह तब होता है जब धनिया पाउडर गरम होता है। चीनी हमेशा ठंडा होने पर डालें।
प्रश्न 6. घी डालने के बाद धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) बहुत ज्यादा चिकनी हो गई, इसे कैसे ठीक करें?
उत्तर: इसमें थोड़ा और भुना हुआ धनिया पाउडर डालकर मिलाएं और 1–2 मिनट और भून लें।
प्रश्न 7. क्या मैं इसमें नारियल पाउडर डाल सकता/सकती हूँ?
उत्तर: हां, इससे स्वाद और भी बढ़ जाता है।
प्रश्न 8. क्या धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri) लंबे समय तक स्टोर की जा सकती है?
उत्तर: हां, एयरटाइट डिब्बे में 7–8 दिन तक सुरक्षित रहती है।
प्रश्न 9. पंजीरी का टेक्सचर बहुत सूखा लग रहा है, क्या करें?
उत्तर: इसमें थोड़ा पिघला हुआ घी डालकर अच्छे से मिक्स करें।
प्रश्न 10. अगर गलती से पंजीरी में ज्यादा चीनी डाल दी तो कैसे बैलेंस करें?
उत्तर: थोड़ा और भुना हुआ धनिया पाउडर और घी डालकर मिक्स करें, स्वाद संतुलित हो जाएगा।
कन्हैया और गोपियों का माखन-प्रसंग
गोकुल की सुबह हमेशा की तरह हंसी-खुशी से शुरू हुई। सूरज की किरणें आँगन में उतर रही थीं, और गोपियों के घरों में माखन मथने की आवाज़ गूंज रही थी। लेकिन यह कोई साधारण सुबह नहीं थी—आज गोकुल में कान्हा ने अपने दोस्तों संग नई शरारत की योजना बनाई थी।
बालकृष्ण अपने मित्र सुदामा, मंशा, और माधव को एक कोने में इकट्ठा कर कहते हैं—”अरे सुनो सुनो, आज हम गोपी काकी के घर चलेंगे। सुना है, उनैने माखन घने ऊँचे मटके में छुपा राख्यो है, सोच रही होंगी की कन्हैया तौ पकड़ो ही नहीं पावैगा!”
सुदामा आँखें फाड़ते हुए बोला—”पर कन्हैया, ऊँचो मटका है, तेरी तो बाँह भी नै पहुँचेगी!” कन्हैया शरारती मुस्कान के साथ बोला— “अरे लल्ला, तेरे दिमाग में माखन नहीं, भूसा भर गयो है का? तू, मैं, और मंशा मिलकर पिरामिड बनाएंगे… ऊपर मैं चढ़ जाऊँगा, फिर देखियो माखन कैसे घुल घुल के मुख में आवै है!”
गोपी काकी घर के बाहर कपड़े सुखाने गईं, बस फिर क्या था—कन्हैया और टोली घर में घुस गई। नीचे एक बर्तन में दूध रखा था, कन्हैया ने चुपचाप देखा और बोला— “अरे वाह! पहिले दूध की चुस्की, फेर माखन की फुलकी!” मंशा ने घबराते हुए कहा— “कन्हैया, जल्दी कर, काकी आ गईं तौ?”
“डरपोक कहीं का, गोपी काकी तौ अब तक बछरी देखण गई होंगी!” कन्हैया ने हंसते हुए जवाब दिया। लेकिन गोपी काकी कोई आम गोपी नहीं थीं, वे जानती थीं कि कान्हा आज ज़रूर आने वाला है। उन्होंने माखन एक बड़े ऊँचे मटके में छुपाकर उसके नीचे से थोड़ी जगह में पानी भर दिया, ताकि कान्हा हाथ डालते ही समझ जाए कि माखन नहीं है। कन्हैया ने जैसे ही माखन निकालने को हाथ डाला, नीचे पानी निकल आया।
“अरे वाह काकी, तू तो घणी सयानी निकली!” कान्हा ने मन ही मन कहा। तभी उनके दिमाग में एक और शरारती आइडिया आया—उसने अपने दोस्तों से कहा— “अरे जल्दी, बछरियों की रस्सी खोल दो! जब काकी उधर दौड़ेंगी, हम इधर माखन उलीच लेंगे।”
जैसे ही बछरियाँ खुलीं, वे सीधी दूध की बाल्टी की ओर भागीं। गोपी काकी चिल्लाती हुई दौड़ीं—”अरे री! मोरी बछरियों को पकड़ो!” और उधर कन्हैया, ऊपर चढ़कर माखन निकाल रहे थे। चेहरे पर माखन लगाकर नीचे कूदते हुए बोला— “अरे वाह! आज तौ माखन में मोहन घुल गयो!”
सुदामा ने हंसते हुए कहा— “कन्हैया, तेरे मुख पर माखन ऐसे लग रहो है जैसे चाँद पर उजाला!” कन्हैया ने माखन का एक गोला मंशा के मुँह में डालते हुए बोला— “लो भैया, खाओ! और याद रखो—गोकुल के लल्ला भूखे नहीं सोवैं!”
थोड़ी देर में गोपी काकी वापस आईं और कान्हा को पकड़ लिया। “अरे श्याम! तू तो मोहे खा गया और माखन भी!”
कन्हैया भोले चेहरे से बोला— “अरे काकी, माखन मैं नहीं, मेरी गालिया (दोस्त) खा गयो है! देखो, मैं तो छोटो-सा, मटके तक पहुँची ही नहीं पावूँ!” काकी ने हंसते हुए कहा— “अच्छा! फिर मुख पे ये माखन काहे लग्यो है?”
कन्हैया ने तुरंत उत्तर दिया—”अरे काकी, यह तो सुदामा ने खेल-खेल में लगायो है, मैं तो निरपराध हूँ!” गोकुल की गलियों में यह दृश्य देखकर सब हंसते-हंसते लोटपोट हो गए, और कन्हैया फिर से अपने दोस्तों संग अगली शरारत की योजना बनाने निकल पड़ा।

