Thandai Shrikhand: जन्माष्टमी पर घर में बनाए यह आसान और पारंपरिक भोग

Thandai Shrikhand

ठंडाई श्रीखंड (Thandai Shrikhand)

 

जन्माष्टमी जैसे पावन त्योहार पर, भगवान कृष्ण के लिए स्वादिष्ट और पवित्र भोग बनाना हर घर की परंपरा है। इस खास मौके पर क्यों न कुछ ऐसा बनाया जाए जो ठंडक भी दे और स्वाद में भी लाजवाब हो? ठंडाई श्रीखंड (Thandai Shrikhand) एक ऐसी festive recipe है जो आपके मेहमानों का दिल जीत लेगी और भोग में भी परफेक्ट लगेगी।

इसमें दही की ठंडक, ठंडाई मसालों का सुगंधित स्वाद, केसर और इलायची की महक — सब कुछ मिलकर इसे न सिर्फ स्वादिष्ट बल्कि हेल्दी भी बनाते हैं। इसे बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता, लेकिन इसका टेस्ट किसी भी मिठाई से कम नहीं। सबसे खास बात यह है कि यह बिना गैस जलाए तैयार हो जाती है, और फ्रिज में ठंडा करके परोसने पर इसका मजा दोगुना हो जाता है।

अगर आप इस जन्माष्टमी पर अपने मेहमानों और परिवार को एक अनोखा डेज़र्ट सर्व करना चाहते हैं, तो ठंडाई श्रीखंड (Thandai Shrikhand) से बेहतर festive recipe कोई नहीं हो सकती।

 

ठंडाई श्रीखंड (Thandai Shrikhand) के लिए सामग्री

  • 500 ग्राम ताजा दही
  • 5–6 टेबलस्पून पिसी हुई चीनी (स्वादानुसार)
  • 2–3 टेबलस्पून ठंडाई पाउडर
  • 1/4 टीस्पून इलायची पाउडर
  • 7–8 केसर के रेशे (1 टेबलस्पून गुनगुने दूध में भीगे हुए)
  • सजावट के लिए कटे हुए बादाम और पिस्ता
Ingredients of Thandai Shrikhand

 

ठंडाई श्रीखंड (Thandai Shrikhand) बनाने की विधि

 

सबसे पहले ताजा दही को एक साफ मलमल के कपड़े में डालें और अच्छे से बांधकर 2–3 घंटे के लिए लटका दें ताकि सारा पानी निकल जाए। लगभग 2–3 घंटे में इसका सारा मट्ठा (पानी) निकल जाएगा और आपके पास सिर्फ गाढ़ा, मलाईदार दही रह जाएगा। जो ठंडाई श्रीखंड (Thandai Shrikhand) की बेस है।

3 घंटे बाद, इस गाढ़े दही को एक बड़े बाउल में निकाल लें। अब इसमें पिसी हुई चीनी, ठंडाई पाउडर, भीगा हुआ केसर और इलायची पाउडर डालें। इन सभी चीजों को अच्छे से मिलाएं ताकि स्वाद एकदम बैलेंस्ड हो।

अब इस मिश्रण को व्हिस्क या चमच से तब तक फेंटें जब तक यह क्रीमी और स्मूद न हो जाए। यह स्टेप आपके ठंडाई श्रीखंड (Thandai Shrikhand) को रिच टेक्सचर देगा।

अंत में, इसे सर्विंग बाउल में डालें और ऊपर से कटे हुए बादाम और पिस्ता से सजाएं। चाहें तो इसे 30 मिनट के लिए फ्रिज में ठंडा करें और फिर जन्माष्टमी भोग में परोसें।

Thandai Shrikhand

 

ठंडाई श्रीखंड (Thandai Shrikhand) के लिए टिप्स

  1. दही जितना ताजा होगा, स्वाद उतना ही अच्छा आएगा।
  2. पानी पूरी तरह से निकालना जरूरी है, वरना श्रीखंड पतला हो जाएगा।
  3. ठंडाई पाउडर घर का बना हो तो स्वाद दोगुना होगा।
  4. केसर को गुनगुने दूध में कम से कम 10 मिनट भिगोकर डालें।
  5. मीठा अपने स्वाद के अनुसार बढ़ा या घटा सकते हैं।
  6. इसे फ्रिज में ठंडा करके परोसना ज्यादा स्वादिष्ट होता है।
  7. ड्राई फ्रूट्स ताजे और कुरकुरे होने चाहिए।
  8. अगर जल्दी बनाना है तो ग्रीक योगर्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

घर पर ठंडाई पाउडर कैसे बनाये (How to Make Thandai Powder at Home)

 

(Thandai Powder) बनाने की सामग्री

(लगभग 250 ग्राम पाउडर के लिए)

  • बादाम – ½ कप
  • काजू – ¼ कप
  • काली मिर्च – 10-12 दाने
  • हरी इलायची – 8-10 (छिलके समेत)
  • सौंफ – 2 बड़े चम्मच
  • खरबूजे के बीज – 2 बड़े चम्मच
  • केसर – 1 छोटा चम्मच (धागे)
Ingredients of Thandai Powder



ठंडाई पाउडर (Thandai Powder) बनाने की विधि

 

सबसे पहले एक भारी तले वाला पैन लें और उसे धीमी आंच पर गर्म करें। अब उसमें बादाम, काजू, काली मिर्च, हरी इलायची, सौंफ, खरबूजे के बीज और केसर के धागे डालें। धीमी आंच पर 3-4 मिनट तक इन सभी सामग्रियों को हल्का सा भूनें। ध्यान रखें कि आंच तेज न हो, वरना मेवे जल सकते हैं और पाउडर में कड़वाहट आ जाएगी।

जब सारी सामग्री हल्की खुशबू छोड़ने लगे और मेवों का रंग थोड़ा गहरा हो जाए, तब इन्हें पैन से निकालकर एक बाउल में ठंडा होने दें। ठंडी होने के बाद इन्हें मिक्सर या ग्राइंडर में डालकर एकदम महीन और चिकना पाउडर बना लें।

इस पाउडर को एयरटाइट डिब्बे में भरकर फ्रिज में स्टोर करें। इस तरह यह हफ्तों तक ताज़ा और सुगंधित बना रहेगा। एक गिलास ठंडे दूध में 1 से 2 चम्मच थंडाई पाउडर डालें, स्वादानुसार चीनी मिलाएँ और अच्छी तरह घोलें। चाहें तो ऊपर से कुछ पिस्ता और केसर डालकर सर्व करें।

Thandai Powder

 

निष्कर्ष

जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को भोग में ठंडाई श्रीखंड (Thandai Shrikhand) चढ़ाना एक अनोखा और स्वादिष्ट तरीका है। यह festive recipe न सिर्फ बनाने में आसान है बल्कि देखने में भी बेहद आकर्षक है। इसके ठंडाई फ्लेवर और मलाईदार टेक्सचर से हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाएगा।

 

FAQs – ठंडाई श्रीखंड (Thandai Shrikhand) से जुड़े सवाल

 

Q1. ठंडाई श्रीखंड (Thandai Shrikhand) बनाने में कितना समय लगता है?

लगभग 3–4 घंटे, जिसमें दही का पानी निकालने का समय भी शामिल है।

 

Q2. क्या इसे बिना ठंडाई पाउडर के बना सकते हैं?

हाँ, लेकिन तब इसका फ्लेवर अलग होगा। ठंडाई पाउडर इस festive recipe की जान है।

 

Q3. क्या मैं इसे पहले दिन बनाकर अगले दिन सर्व कर सकता हूँ?

हाँ, बस फ्रिज में एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें।

 

Q4. ठंडाई पाउडर घर का बना इस्तेमाल करना बेहतर है या बाजार का?

घर का बना हमेशा ताज़ा और हेल्दी होता है।

 

Q5. क्या ग्रीक योगर्ट से भी ठंडाई श्रीखंड (Thandai Shrikhand) बन सकता है?

हाँ, और इससे पानी निकालने की जरूरत नहीं होगी।

 

Q6. क्या मैं इसमें शुगर की जगह गुड़ का इस्तेमाल कर सकता हूँ?

हाँ, लेकिन गुड़ का फ्लेवर अलग टेस्ट देगा और रंग हल्का बदल सकता है।

 

Q7. क्या इस रेसिपी में केसर जरूरी है?

जरूरी नहीं, लेकिन यह रंग और खुशबू बढ़ाता है।

 

Q8. क्या ठंडाई श्रीखंड (Thandai Shrikhand) को बच्चों के लिए बनाना सुरक्षित है?

हाँ, लेकिन अगर ठंडाई पाउडर में बहुत मसालेदार सामग्री हो तो बच्चों के लिए हल्का रखें।

 

अर्जुन और दुर्योधन की द्वारका यात्रा

 

द्वारका का वह शांत प्रातःकाल था। सागर की लहरें मंद–मंद किनारे को छू रही थीं और राजमहल के भीतर योगेश्वर श्रीकृष्ण अपने कक्ष में विश्राम कर रहे थे। महाभारत का युद्ध आसन्न था, और दोनों पक्ष — पांडव और कौरव — विजय की आशा में समर्थकों को जोड़ने में लगे थे।

दुर्योधन को खबर मिली कि कृष्ण ही वह शक्ति हैं जो विजय–पराजय का पलड़ा बदल सकती है। उसी समय अर्जुन को भी यही विचार आया। संयोग देखिए, दोनों ही लगभग एक साथ द्वारका पहुँचे।

कृष्ण विश्राम कक्ष में थे। दुर्योधन ने चालाकी से सोचा — “मैं सिरहाने बैठूँगा, ताकि जब माधव की आँख खुले तो सबसे पहले मुझे देखें और मेरी बात सुने।” वह चुपचाप जाकर सिरहाने के पास बैठ गया। अर्जुन जब पहुँचा तो उसने प्रणाम किया और विनम्रता से भगवान के चरणों के पास बैठ गया। उसके लिए यह स्थान केवल चरण–सेवा का था, न कि स्वार्थ का।

थोड़ी देर बाद श्रीकृष्ण ने आँखें खोलीं। दृष्टि जैसे ही उठी, सबसे पहले उन्होंने अर्जुन को देखा। मुस्कुराए और बोले — “अरे पार्थ! तुम कब आए?” दुर्योधन बीच में बोल पड़ा — “माधव, मैं पहले आया हूँ, मेरी बात पहले सुनिए।” कृष्ण ने हँसते हुए कहा — “दुर्योधन, मैंने आँख खोलते ही अर्जुन को देखा, इसलिए पहले उसकी बात सुनूँगा।”

अब दोनों के सामने भगवान ने दो विकल्प रख दिए — “एक ओर है मेरी संपूर्ण नारायण सेना, जो युद्ध में प्रचंड बल दिखाएगी; और दूसरी ओर हूँ मैं स्वयं, लेकिन एक शर्त है — मैं शस्त्र नहीं उठाऊँगा, केवल सारथी बनूँगा।” दुर्योधन के मन में युद्ध की गणना थी — सेना चाहिए, शक्ति चाहिए, संख्याबल चाहिए। उसने झटपट कहा — “मुझे नारायण सेना चाहिए।” अर्जुन के हृदय में भाव था, गणना नहीं। उसने सिर झुकाकर कहा —

“मुझे केवल आप चाहिए, माधव। यदि आप मेरे साथ हैं, तो मुझे किसी और की आवश्यकता नहीं।” कृष्ण ने स्नेहभरी दृष्टि से देखा। यही प्रेम और समर्पण उन्हें प्रिय था। इस निर्णय के बाद, युद्धभूमि में कृष्ण अर्जुन के सारथी बने। उन्होंने स्वयं शस्त्र नहीं उठाया, लेकिन गीता का दिव्य ज्ञान देकर अर्जुन को वह दृष्टि दी, जिसने धर्म की विजय सुनिश्चित की।

युद्ध में हर मोड़ पर कृष्ण की नीति, संकेत और मार्गदर्शन ने पांडवों को विजय दिलाई। यह केवल सेना या शस्त्र की नहीं, बल्कि प्रेम और समर्पण की विजय की कहानी बन गई।

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