Bangali Kasundi: बंगाल का खास स्वाद अब आपके किचन में – सीखें कसुंदी बनाने का आसान तरीका

Bangali Kasundi

बंगाली कसुंदी (Bangali Kasundi)

 

भारतीय रसोई की विविधता का ज़िक्र हो और उसमें बंगाल की बात न आए, ये हो ही नहीं सकता। बंगाली व्यंजनों में जितनी सादगी होती है, उतना ही गहरा उनका स्वाद होता है — और उन्हीं में से एक बेशकीमती खजाना है बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi)

यह कोई आम सरसों की चटनी नहीं, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही एक पारंपरिक विधि है, जिसमें सरसों के बीजों की तीखापन, आम की खटास, अदरक और मिर्च की गरमाहट और तेल मिलकर एक ऐसा ज़ायका तैयार करते हैं जो किसी भी खाने को पूरी तरह बदल देता है।

बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) को पारंपरिक रूप से लुचि, शुक्तो, खिचड़ी, फ्राई फिश या किसी भी देसी स्नैक के साथ परोसा जाता है, और आजकल यह मॉडर्न फूड जैसे सैंडविच, मोमोज और रोल्स में भी तीखा ट्विस्ट देने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसकी सबसे खास बात ये है कि आप इसे अपने स्वाद के अनुसार तीखा, खट्टा या हल्का मसालेदार बना सकते हैं, और वो भी बिलकुल घर की चीजों के साथ, बिना किसी प्रिज़रवेटिव के।

इस रेसिपी में हम सीखेंगे कि घर पर आसानी से बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) कैसे बनाई जाती है — वो भी पूरी पारंपरिक शैली में। इसमें कोई झंझट नहीं, कोई महंगी सामग्री नहीं — बस शुद्ध देसी तरीके से एक ऐसी चटनी जो स्वाद में तीखी, खुशबू में लाजवाब और संग्रहण में टिकाऊ है।

अगर आप भी खाने में कुछ तीखा और अलग ढूंढते हैं, तो यकीन मानिए — एक चम्मच बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) आपकी प्लेट का स्वाद ही नहीं, मूड भी बदल सकती है।

 

बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) के लिए आवश्यक सामग्री

 

  • कच्चे आम – 3 मध्यम आकार के (लगभग 500 ग्राम) (यदि आम उपलब्ध न हों, तो विकल्प के रूप में 10-12 नींबू भी इस्तेमाल कर सकते हैं)

  • हरी मिर्च – 8 से 10, धोकर पूरी तरह सुखाई हुई

  • अदरक – 2 इंच का टुकड़ा, धोकर और सुखाकर काटा हुआ

  • काली सरसों के बीज – 50 ग्राम

  • पीली सरसों के बीज – 50 ग्राम

  • सौंफ – 1 बड़ा चम्मच

  • नमक – स्वादानुसार

  • हल्दी पाउडर – ½ छोटा चम्मच

  • सिरका – ½ छोटा चम्मच (कसुंदी को लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिए)

  • हींग (असाफोटिडा) – 1 छोटा चम्मच

  • सरसों का तेल – ½ कप

  • पानी – आवश्यकता अनुसार (गाढ़ा पेस्ट बनाने के लिए)

बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) बनाने की विधि 

 

सबसे पहले आमों को छील लें और मोटे टुकड़ों में काट लें। हरी मिर्च और अदरक को भी बड़े टुकड़ों में काटकर अलग रख लें। एक मिक्सर में काली सरसों, पीली सरसों और सौंफ डालें और दरदरा पीस लें।

यह पीसाई न बहुत बारीक होनी चाहिए और न ही बहुत मोटी – यही बनावट बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) को उसका खास तीखापन और टेक्सचर देती है। अब कटे हुए आम, अदरक और हरी मिर्च को पिसे हुए मसालों के साथ मिक्सर में डालें।

इसमें लगभग आधा कप पानी मिलाएँ। फिर स्वादानुसार नमक, हल्दी पाउडर और सिरका डालकर सब कुछ मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट बना लें। इस पेस्ट की स्थिरता ऐसी होनी चाहिए कि वह न बहुत बहता हो और न ही पूरी तरह जमी हुई हो। एक कढ़ाई में सरसों का तेल डालें और धीमी आंच पर गर्म करें।

जब तेल से धुंआ न निकलने लगे लेकिन वह पूरी तरह गर्म हो जाए, तब उसमें हींग डालें। इसके तुरंत बाद तैयार किया गया पेस्ट डाल दें। धीमी आंच पर पेस्ट को लगातार चलाते हुए पकाएं। शुरुआत में तेल ऊपर तैरता दिखेगा, लेकिन कुछ ही देर में पेस्ट उसे सोख लेगा और मिश्रण एकसार हो जाएगा।

इसे दो से तीन मिनट तक पकाएं जब तक कि बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) का रंग गाढ़ा न हो जाए और उसमें से कच्चे मसालों की महक न आए। जब कसुंदी पक कर तैयार हो जाए तो उसे पूरी तरह ठंडा होने दें। ठंडा होने के बाद इसे एक साफ, सूखे और एयरटाइट कांच के जार में भरें। प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग न करें क्योंकि इससे कसुंदी की गुणवत्ता और स्वाद पर असर पड़ सकता है।

बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) को उसी दिन भी खाया जा सकता है, लेकिन यदि इसे तीन से चार दिन तक ऐसे ही रखा जाए तो इसका स्वाद गहराता है और हर चम्मच में एक नई तीव्रता मिलती है। इस जार को आप कमरे के तापमान पर आराम से रख सकते हैं, लेकिन हर बार उपयोग करने के लिए हमेशा सूखा और साफ चम्मच ही लें।

 

बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) बनाने के ज़रूरी टिप्स

 

  1. हमेशा ताज़े और कच्चे आम का ही इस्तेमाल करें। अगर आम उपलब्ध न हों, तो नींबू बढ़िया विकल्प है, लेकिन स्वाद में थोड़ी भिन्नता आएगी।

     

  2. सरसों के बीजों को पीसते समय ध्यान रखें कि वो दरदरे रहें — ज़्यादा महीन पिसने पर कसुंदी का टेक्सचर और तीखापन दोनों बिगड़ सकते हैं।

     

  3. बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) को पीसते समय बहुत ज़्यादा पानी न डालें वरना पेस्ट पतला हो जाएगा।

     

  4. हींग का तड़का कसुंदी के स्वाद को बेहद खास बना देता है, इसलिए इसे हल्का भूनकर डालना ज़रूरी है।

     

  5. कसुंदी पकने के बाद जब यह गाढ़ी हो जाए और तेल सोख ले, तभी आंच बंद करें। अधपकी कसुंदी जल्दी खराब हो सकती है।

     

  6. इसे हमेशा काँच के जार में ही स्टोर करें और जार पूरी तरह साफ और सूखा होना चाहिए।

     

  7. बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) को 3-4 दिन बाद इस्तेमाल करना शुरू करें। तब तक इसमें मसालों का स्वाद अच्छे से बैठ चुका होता है।

     

  8. ज़्यादा लंबे समय तक स्टोर करने के लिए कसुंदी को फ्रिज में रखने के बजाय ठंडी और सूखी जगह पर रखें।

     

निष्कर्ष

बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) सिर्फ एक तीखी चटनी नहीं, बल्कि बंगाल की रसोई से निकली वो सौगात है जो हर निवाले में अपनी मिट्टी की खुशबू घोल देती है। जब सरसों की तेज़ खुशबू, कच्चे आम की खटास, और मसालों का मेल एक साथ किसी रेसिपी में उतरते हैं, तो वह सिर्फ स्वाद नहीं देती, बल्कि एक याद बन जाती है — और ठीक वैसी ही है।

घर में जब इसे बनाया जाता है, तो हर स्टेप में एक अपनापन झलकता है — जैसे दादी का सिखाया हुआ कोई पुराना नुस्खा दोहराया जा रहा हो। न इसमें बाजार की मिलावट है, न दिखावे की जरूरत। बस कुछ आम, थोड़े मसाले, और वो देसी तरीका जो इसे खास बना देता है। यह न सिर्फ खाने के स्वाद को कई गुना बढ़ा देती है, बल्कि हर बार इसे चखते समय आपको एक गहरा देसी एहसास कराती है।

 

FAQs – बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) के लिए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

 

Q1. क्या बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) को लंबे समय तक बिना फ्रिज के रखा जा सकता है?
अगर इसे सही तरीके से पकाया गया है और सूखे कांच के जार में रखा गया है तो यह कमरे के तापमान पर भी 15 से 20 दिन तक सुरक्षित रहती है। हर बार सूखा और साफ चम्मच इस्तेमाल करना ज़रूरी है।

Q2. क्या आम की जगह नींबू का इस्तेमाल करने से बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) का स्वाद खराब हो जाएगा?
बिलकुल नहीं, नींबू एक अच्छा विकल्प है खासकर जब आम उपलब्ध न हों। इसका स्वाद थोड़ा अलग होगा लेकिन तीखा और खट्टा वही बना रहेगा।

Q3. क्या बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) को बिना पकाए भी बनाया जा सकता है?
हाँ, कई लोग इसे कच्चे रूप में भी बनाते हैं, लेकिन हल्का पकाने से इसका स्वाद और टिकाऊपन दोनों बेहतर हो जाते हैं।

Q4. क्या इसे बच्चों को भी दिया जा सकता है?
अगर मिर्च की मात्रा कम रखी जाए तो हाँ, लेकिन इसका स्वाद तीखा होता है इसलिए छोटे बच्चों को बहुत कम मात्रा में ही देना चाहिए।

Q5. क्या बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) को सिर्फ चटनी के तौर पर ही इस्तेमाल किया जा सकता है?
नहीं, इसे आप डिप की तरह, मसालेदार बेस के रूप में या कई पारंपरिक व्यंजनों के साथ भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह खाने को अलग स्तर पर ले जाती है।

Q6. बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) बनाते समय तेल डालना जरूरी है क्या?
तेल से न केवल स्वाद गहराता है बल्कि यह प्राकृतिक संरक्षक का काम भी करता है। अगर बिना तेल के बनाएंगे तो इसका स्वाद और शेल्फ लाइफ दोनों प्रभावित हो सकते हैं।

Q7. अगर बंगाली कसुंदी (Bengali Kasundi) में हल्की कड़वाहट आ जाए तो उसे कैसे ठीक करें?
यह आमतौर पर सरसों की मात्रा ज्यादा होने या कम पकाने से होता है। थोड़ी सी चीनी या नींबू का रस मिलाकर संतुलन लाया जा सकता है।

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